Monday, February 22, 2010
Sunday, May 3, 2009
बकवास बंद कर
बड़ा : अरे छोटे, ये छाता ले के कहाँ जा रहा है ?
छोटे: अरे तुझे मालूम नहीं नैनो कार की बुकिंग हो रही है।
बड़ा: तो ये छाता ले के क्यों जा रहा है?
छोटा: तूने सुना नहीं "नैनो में बदरा छाये बिजुरी सी चमके हाय !!!!!!!!!!!!!!!!"- कहीं ये बदरा बरसात कर दें तो छाता कहाँ से लाऊंगा
बड़ा: बकवास बंद कर .
छोटे: अरे तुझे मालूम नहीं नैनो कार की बुकिंग हो रही है।
बड़ा: तो ये छाता ले के क्यों जा रहा है?
छोटा: तूने सुना नहीं "नैनो में बदरा छाये बिजुरी सी चमके हाय !!!!!!!!!!!!!!!!"- कहीं ये बदरा बरसात कर दें तो छाता कहाँ से लाऊंगा
बड़ा: बकवास बंद कर .
Monday, April 6, 2009
बचपन की कहानी
हम अक्सर बचपन की कहानियाँ भूल जाते हैं पर कुछ कहानियाँ मौका आने पर याद आ जाती है। अभी हाल ही मेंपाकिस्तान पर आतंकी हमले में बहुत से लोग मर गए । जान माल की काफी नुकसान हुआ। कहानी कुछ ऐसी है
एक बार एक जंगल में एक पेड़ पर एक कोयल और कौय्रे का घोंसला था । कोयल कौए से बहुत जलती थी और वोहमेशा इसी तलाश में रहती थी की कब मौका आए और वो कौए को नीचा दिखाए। इसी सोच में एक दिन उसकीमुलाक़ात एक सौंप से हुई उसने सौंप को कहा की एक पेड़ पर बहुत से अंडे हैं और वो उसका अच्छा भोजन बनसकते हैं.सौंप बगुत खुश हुआ और वो कोयल के साथ उसके पेड़ पर गया । कोयल ने सौंप को कौए का घोंसलादिखाया और सौंप ने बहुत शौक से कौए के घोंसले से एक अंडे को खा लिया और कोयल को धन्यवाद् दिया.अगलेदिन भूख लगने पर फ़िर आया और एक अंडा खा गया । इसी तरह वो रोज़ एक अंडा खा जाता और उसे शिकार केलिए कोई म्हणत न करनी पड़ती थी.एक दिन कौए के घोंसले के सभी अंडे ख़तम हो गए पर सौंप को तो आदत पड़गयी थी मुफ्त का माल खाने की और वो ढूंढते ढूंढते कोयल के घोंसले की तरफ़ बढ़ा और उसके भी सारे अंडे खागया कोयल रोत्ती रही पर सौंप पर कोई असर नहीं हुआ। हमारे पड़ोसी मुल्क की भी यही कहानी है.
एक बार एक जंगल में एक पेड़ पर एक कोयल और कौय्रे का घोंसला था । कोयल कौए से बहुत जलती थी और वोहमेशा इसी तलाश में रहती थी की कब मौका आए और वो कौए को नीचा दिखाए। इसी सोच में एक दिन उसकीमुलाक़ात एक सौंप से हुई उसने सौंप को कहा की एक पेड़ पर बहुत से अंडे हैं और वो उसका अच्छा भोजन बनसकते हैं.सौंप बगुत खुश हुआ और वो कोयल के साथ उसके पेड़ पर गया । कोयल ने सौंप को कौए का घोंसलादिखाया और सौंप ने बहुत शौक से कौए के घोंसले से एक अंडे को खा लिया और कोयल को धन्यवाद् दिया.अगलेदिन भूख लगने पर फ़िर आया और एक अंडा खा गया । इसी तरह वो रोज़ एक अंडा खा जाता और उसे शिकार केलिए कोई म्हणत न करनी पड़ती थी.एक दिन कौए के घोंसले के सभी अंडे ख़तम हो गए पर सौंप को तो आदत पड़गयी थी मुफ्त का माल खाने की और वो ढूंढते ढूंढते कोयल के घोंसले की तरफ़ बढ़ा और उसके भी सारे अंडे खागया कोयल रोत्ती रही पर सौंप पर कोई असर नहीं हुआ। हमारे पड़ोसी मुल्क की भी यही कहानी है.
क्षह्निका
मरते हुए आदमी के मुहं में गंगा जल डालते ही-
वो उठ खड़ा हुआ और बोला- घर का वाटर फिल्टर ख़राब हो गया हो क्या?
Saturday, March 28, 2009
Public कोन्निवांस/Convenience
Sign board outside a public toilet: “Public Convenience”. But public don’t want to use the dirty public toilets and prefer to answer the nature call adjacent to the public loo openly. Some passer-by thought it fit to name the open space (loo) appropriately and wrote in bold words “Public Connivance”.
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